मुस्कुरा कर सहता रहा छैनी-हथौड़ी के वार, टुकुर-टुकुर देख रहा था 2 साल का आरव

गागर में सागर समाने की बातें हम सभी अक्सर कवि सम्मेलनों में सुना करते हैं | लेकिन आज सागर जो मध्य प्रदेश का हृदय स्थल है वहां जरा सी चूक से दो वर्ष का मासूम आरव जैन गागर में जा बैठा | बुंदेलखंड़ क्षेत्र में इस वर्तन का उपयोग पानी भरने मे किया जाता है | इस बर्तन को गागर, हड़ा या गुंड के नाम से भी जाना जाता है | बर्तन बनाने वाले अशोक ताम्रकार के अनुभवी हाथों ने बर्तन को छैनी-हथौड़े की मदद से काटा और  बड़े दुलार से दो वर्ष के आरव को हंसता-खेलता बाहर निकाला | 
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     दरअसल सागर के चकराघाट बार्ड में निवास करने वाले अनुज जैन का मासूम 2 वर्ष का बालक रोज की तरह घर में खेल रहा था | रविवार की सुबह तकरीबन 10 बजे घर की छत के ऊपर रखी एक पुरानी तांबे की गागर (गुंड़) जिसमें पानी भरा था में खेलते-खेलते जा बैठा | गागर में बैठते ही उसके पैर मुड़ गए और बालक उसमें फस कर रह गया | छोड़ी देर बाद बालक घबड़ाकर रोने लगा | परिजनों ने जब बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो सब दौड़ पड़े | बच्चे को गागर में फसा देखकर सभी  उसे निकालने में जुट गए| लगातार प्रयास के बाद बच्चे को जब परिजन नहीं निकाल पायें तो उसे निकालने पड़ौसियों की भी मदद ली गई | घड़ा नुमा ताबे के बर्तन में बच्चे के फंसने की खबर सारे मुहल्ले में फैल गई |  काफी परेशान होने के बाद बच्चे आरब को बर्तन बनाने और सुधारने का काम करने वाले की दुकान पर ले जाया गया। सागर के चमेली चौक क्षेत्र के बर्तन बनाने वाले अशोक ताम्रकार के अनुभवी हाथों ने बर्तन को छैनी-हथौड़े की मदद से काट निकाला | बताया जाता है कि अनुज जैन का 2 साल का बालक आरव  रविवार की सुबह तकरीबन 10 बजे छत पर खेल रहा था। इसी दौरान बर्तन में फस गया |


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