जो धर्मयुक्त आचरण करता है उसकी सदैव विजय होती है : अवनीश महाराज
जो धर्मयुक्त आचरण करता है उसकी सदैव विजय होती है : अवनीश महाराज
सुरेन्द्र जैन मालथौन |
अटाकर्नेलगढ़ में आयोजित सगीतमय भव्य श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस की कथा व्यास से पंडित श्री अवनीश महाराज ने मुखारविंद से विदुर मैत्रेय संवाद, सृष्टि का विस्तार, कपिल देवहूति संवाद, भगवान शिव का चरित्र एवं ध्रुव जी के पावनचरित्र की कथा को श्रवण कराया।
विदुर जी के चरित्र को श्रवण कराते हुए।
महाराज श्री ने कहा कि सदैव धर्म के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए जो धर्मयुक्त आचरण करता है उसकी सदैव विजय होती है कपिल देवहूति संवाद के माध्यम से देवहूति जी कपिल भगवान से कहती है कि प्रभु मैने आपकी सारी कथाओं का सार निकाला है कि जो भी आपके नाम का आश्रय लेगा वो भवसागर से पार हो जाएगा।
अहंकार पतन कारण -
भगवान शिव जी के पावन चरित्र में बताया कभी अहंकार नहीं करना चाहिए अहंकार पतन का कारण है भगवान ने दक्ष प्रजापति के अहंकार को समाप्त किया।।कथा के विश्राम में ध्रुव जी महाराज के चरित्र को श्रवण कराते हुए कहा कि ध्रुव जी ने भगवान का नाम ग्लानि(दुख)में लिया फिर भी उनका कल्याण हो गया,और उनको परमपद की प्राप्ति हुई । कोई भी भगवान का नाम भाव, कुभाव, आलस्य, क्रोध किसी भी प्रकार से ले वो उसी प्रकार कल्याण कर देता है जैसे अग्नि में हम हाथ जानकर डाले या अनजाने में अग्नि हमारे हाथ को जला देती है ।।
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