हाथी पर सवार महालक्ष्मी का पूजन कर महिलाएं ने मांगी घर की समृद्धि

गढाकोटा। शनिवार को बुंदेलखंडी घरों में गजलक्ष्मी व्रत का पूजन हूआ। इसमें मिट्टी के हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की पूजा हुई। घर-घर में हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की गई घरों में विभिन्न नमकीन व मिष्ठान्न बनाए गये जिसमें आटे के मिष्ठान्न प्रमुख और माता लक्ष्मी को अर्पित किये। पूजा को लेकर पं पुष्पेंद्र शास्त्री ने बताया कि व्रत प्रतिवर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी पर विधिवत किया जाता है। इस व्रत पर महिलाएं व्रत रखती हैं। कथा के बाद शाम को पूजन किया जाता है। इस व्रत की कथा के अनुसार एक समय महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर गए। व्यासजी से माता कुंती तथा गांधारी ने पूछा कि आप हमें ऐसा सरल व्रत तथा पूजन बताएं, जिससे हमारी राज्यलक्ष्मी, सुख-संपत्ति, संतानें समृद्ध बनी रहें। व्यासजी ने महालक्ष्मी व्रत व गजलक्ष्मी व्रत के बारे में बताया। इस दिन स्नान कर महिलाएं 16 सूत के धागों का डोरा बनाकर उसमें 16 गांठ लगाकर हल्दी से पीला करेंगी और 16 दूब व 16 गेहूं डोरे के साथ लक्ष्मी को चढ़ाएंगी। उपवास रखकर गजलक्ष्मी की स्थापना कर पूजन कर परिवार की उन्नति के लिए प्रार्थना करेंगी। व्रत के अनुसार इस दिन गांधारी ने नगर की सभी महिलाओं को बुलाया, लेकिन कुंती को नहीं बुलाया। कुंती ने इसे अपमान समझा। उनकी उदासी देख पुत्रों ने प्रश्न किया। कुंती ने कहा कि गांधारी ने मिट्टी का हाथी बनाकर उसके पूजन के लिए नगर की महिलाओं को बुलाया है। अर्जुन ने कहा कि आप भी सभी महिलाओं को बुला लेंए पूजा की तैयारी करें। हमारे यहां स्वर्ग से आए ऐरावत हाथी का पूजन होगा। शाम होते ही इंद्र ने अपना ऐरावत हाथी भेजा और सभी महिलाओं ने उसकी पूजा की। 16 गांठों वाला डोरा लक्ष्मीजी को चढ़ाया। मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया और पूजन के बाद महालक्ष्मीजी को जलाशय में विसर्जित किया। वहीं ऐरावत हाथी को इंद्रलोक भेज दिया। इस तरह इस व्रत का पूजन शुरू किया। यह व्रत अधिकांशत: बुंदेलखंड क्षेत्र के लोग करते है।


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