पांच दिवसीय पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री निर्माण का हुआ भव्य आयोजन
पांच दिवसीय पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री निर्माण का हुआ भव्य आयोजन
सुरेन्द्र जैन मालथौन।
बरोदिया कलां के मचकुंदया कुंआ के पास स्थित शिवपार्वती मंदिर में पांच दिवसीय पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री निर्माण का भव्य आयोजन किया गया। शिवपार्वती मंदिर में सुबह से ही शिवलिंग निर्माण के लिये भक्तों की भारी भीड़ रही, प्रायः हर दिन भारी संख्या में भक्त शिवलिंग निर्माण एवं अभिषेक पूजन में पहुँचे।
धार्मिक आयोजन के पंचम एवं अंतिम दिवस सुबह से ही पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिये भक्तों की पांडाल में व्यवस्था की गई।आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुये बेहतर व्यवस्था की थी। पार्थिव शिवलिंग निर्माण उपरांत अभिषेक पूजन संपन्न हुआ साथ ही संगीतमय ॐ नमः शिवायः के जाप के साथ भोलेनाथ को विल्वपत्र अर्पित की गई। आयोजन के आज अंतिम दिवस में हवन पूजन के बाद शोभायात्रा का आयोजन किया गया।शोभायात्रा में पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री को श्रद्धालुओं द्वारा अपने-अपने सिरों पर रखकर विसर्जन हेतु ले जाया गया इस दौरान नगरवासियों की भारी भीड़ एवं अत्यधिक उत्साह देखने को मिला। पार्थिव शिवलिंग निर्माण आयोजन के आचार्य द्वय पं.अरुण कुमार मिश्रा एवं पं.रामकुमार तिवारी ने पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री निर्माण का महत्व बतलाते हुए कहा कि पार्थिव शिवलिंग और रूद्री निर्माण का बहुत ही महत्व है, पार्थिव शिवलिंग पवित्र मिट्टी से बनाया जाता है, और इसका निर्माण विधि वशिष्ठेश्वर संहिता में वर्णित है। पार्थिव शिवलिंग पूजा करने से बड़े से बड़े संकट और गरीबी दूर हो जाती है।
रूद्री निर्माण का महत्व-
आचार्य पं. अरुणकुमार मिश्रा ने बताया कि रूद्री निर्माण का मतलब है रूद्र मंत्रों का जाप करके शिवलिंग का अभिषेक करना। यह पूजा विधि पार्थिव शिवलिंग के साथ की जाती है, जिसमें 11 बार स्तोत्र से जलधारा अभिषेक किया जाता है। इससे त्रिविध दोषों का शमन होता है, और सभी अरिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं। पार्थिव शिवलिंग एवं रूद्री निर्माण से व्यक्ति की मनोकामनाये पूरी हो जाती हैं। श्रावण के पवित्र माह में शिव एवं शक्ति की पूजा का महत्व और भी बड़ जाता है।अभिषेक पूजन के समय मंत्रोच्चार एवं ॐ नमः शिवाय की ध्वनि मात्र सुनने से अभिषेक पूजन का पूर्ण फल मिल जाता है।
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