मुआवजा व पुनर्वास की मांग को लेकर ग्रामीण बैठे धरने पर
उल्दन बांध परियोजना में डूब क्षेत्र के ग्रामीण लगातार कई दिनों से बैठे धरना पर
सुरेन्द्र जैन सागर।
उल्दन बांध परियोजना में डूब क्षेत्र के जनपद पंचायत बंडा के अंतर्गत आने वाली पांच पंचायतों के ग्रामवासी कई दिन से धरना प्रदर्शन पर डटे हुए।डूब प्रभावित बहरोल ,कुल्ल ,पिपरिया ,इल्लाई ,सेमरा अहीर गांव के डेढ़ हजार लोग के धरना दे रहे। उनकी मांग है की प्रभावित क्षेत्र के वंचित किसानों को शामिल कर मुआवजा व पुनर्वास दिलाया जाएं।
शासन प्रशासन के नुमाइंदों ने उनकी मांगो की अबतक सुध नहीं ले रहा। हो रहे वंचित प्रभावितों ने उनके साथ भेदभाव ,मनमानी के आरोप लगाए है। पूर्व में अधिकारियों द्वारा किसानों ग्रामीणों को आश्वशन दिया गया था 15 दिवस में प्रभावित वंचित सभी लोगो को शामिल कर उन्हें उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। शासन प्रशासन की मनमानी के खिलाफ प्रभावित ग्रामीणों में आक्रोश व्य्याप्त है। उल्दन बांध परियोजना डूब क्षेत्र के गांव डूब में ले लिये ,उन्ही गांव के 131 लोगो के परिवारों के मकानों को छोड़ दिया। उन्हें वंचित करने का क्या कारण है।परियोजना के अधिकारियों ने मजाक बनाकर रख दिया है दीवाल से दीवाल लगी हुई ,कोई 50 सेंटीमीटर दूर है ,उन्हें सर्वे में छोड़ दिया गया। एक को डूब क्षेत्र में घोषित कर दिया दूसरा को छोड़ दिया। प्रभवित ग्रामीणों की मांग है इन सभी का पुनः सर्वे कराकर इन्हें डूब क्षेत्र में शामिल किया जाय।उन्हें उचित मुआवजा राशि दिलाई जाएं। पूर्व अधिकारियों द्वारा आश्वशन दिया गया था लेकिन अब तक कोई कार्रवाही न होने से ग्रामीण चिंतित है उनका भविष्य खतरे में है एक पहले परियोजना में उनकी जमीनी मनमाने ढंग से ले ली। जिसमें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। प्रभावित लोगों के मकानों की सर्वे में मनमानी से उन्हें वंचित करने का प्रयास किया जा रहा हैं। जबकि उनकी जमीनी चली गई वह वहां करगे डूब क्षेत्र में रहना उनके लिए खतरों से कम नहीं हैं। ग्रामीणों की मांग है यह है कि बहरोल विकास खण्ड बंडा के निवासी है डूब क्षेत्र के सभी वंचित लोग है डूब क्षेत्र में लिया जाए। ग्रामीणों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है और भेदभाव किया जा रहा है. कुछ ग्रामीणों को सर्वे में अपात्र घोषित कर दिया गया है, जबकि कुछ को कम मुआवजा दिया जा रहा है. इसके अलावा, कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि उनके घरों को अस्थाई बताकर उन्हें मुआवजा देने से वंचित किया जा रहा है. ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को रखा है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है। जब मांगो पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो इन पांच ग्रामो के लोगो को विवश होकर धरने प्रदर्शन के रास्ता अख्तियार करने पड़ा 9 दिन से लगातार ग्रामवासी धरने पर बैठे हुए हैं। धरना प्रदर्शन में स्थानीय जन प्रतिनिधियों ,नेताओ ने पहुचकर शामिल हुए हैं।
इनका कहना है -
बहरोल निवासी चंद्रभान सिंह बताते है की पहले सुना था की 2018 की सर्वे मे हमारे मुँहल्ले के सारे घर डूब मे ले लिए गए है फिर अचानक पता चलता है की हम लोगो के मुहल्ले के 6घर डूब से वंचित है हमारे गांव की स्कूल बन चौकी मंदिर डूब मे है ज़मीन भी डूब मे चली गई जिनका मुआवजा अभी तक हम को नहीं दिया गया शासन प्रशासन की सारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित कर दिया गया 2018मे ही ज़मीनो की रजिस्ट्री फीज करा ली गई थी। जिसके बस हम सभी शासन की योजनाओं से लाभ से वंचित हैं। आंखों में बंधी पट्टी - उल्दन बांध परियोजना में रहवासियों ने मुआवजा में भेदभाव के आरोप लगाए है। सर्वे में जानबूझ कर आजू बाजू के मकान छोड़ दिए है। प्रशासन आंखों में पट्टी और कानों में रुई लगाकर बैठा है। प्रशासन ने सर्वे करवाकर का मुआवजा देंने की आश्वशन दिया था लेकिन वह मुकर गया हैं । हम लोगो की सुन नहीं रह है एक सप्ताह से 131 परिवार धरना पर बैठे है लेकिन प्रशासन सूद नहीं ले रहा है।
इनका कहना है
बहरोल पंचायत की विमला बताती है की 2बार सारा गांव डूब मे लेने के बाद तीसरे बार के सर्वे मे हम जैसे बहुत लोगो के घर छोड़ दिया गया। अधिकार मनमानी कर रहे हैं। अब हम लोगो के पास अनेक चुनोतियाँ खड़ी हो गई है। ग्रामीण बता ते है हमने पूर्व मे चुनाव का बहिष्कार भी किया लेकिन मौके पर एसडीएम ने हमें हमारी प्रशासन से मांगे कराने का पूर्व मे वादा भी किया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। 12 वे दिन पूर्व विधायक ने पीडितो के साथ किया जल सत्याग्रह : पूर्व कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी ने किसानों के समर्थन में जल सत्यागृह कर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यहा के किसानों ने यहा से लेकर भोपाल तक पैदल पहुचे। लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हुई। इतने बांध के किनारे वालो कैसे सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की इन वंचित किसानों शामिल किया जाए। उन्होंने उचित मुआवजा दिया जाए। सरकार ने बांध परियोजना में प्रभावित किसानों का मजाक बनाकर रख दिया हैं। 12 दिन से बहरोल स्टैंड पर डूब क्षेत्र के किसान आंदोलन कर रहे है किसी अधिकारीयो ने सुध नहीं ली है।
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