किसान सहकारी शीतगृह एवं बर्फ फैक्टरी में लाखों का घोटाला

लोकायुक्त के आदेश के बाद भी दोषी लेखापाल के खिलाफ नहीं हुई एफआईआर
सहकारिता उपायुक्त ने फिर लिखा पुलिस अधीक्षक को पत्र
सागर। जिले की प्रमुख सहकारी संस्था किसान सहकारी शीतगृह एवं बर्फ फैक्टरी मर्यादित सागर में वर्षों पूर्व हुए 37 लाख 42 हजार के घोटाले में तमाम जांच पड़तालों के बावजूद अभी तक दोषियों पर कार्यवाही नहीं हुई है। मध्यप्रदेश लोकायुक्त द्वारा भी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश का भी पालन नहीं हुआ है। अब लोकायुक्त में दोषियों पर एफआईआर नहीं किए जाने का प्रकरण विचाराधीन है। किसान सहकारी शीतगृह एवं बर्फ फैक्टरी के तत्कालीन लेखापाल जगदीश प्रजापति को दोषी पाया गया था और प्रजापति से घोटाले की राशि की वसूली की जाना थी।  6 मार्च  19 को शीतगृह संस्था के लेखापाल जगदीश प्रसाद प्रजापति की चल-अचल संपत्ति कुर्क कर गबन की राशि 37 लाख 42 हजार मय ब्याज के बसूलने तथा भोपाल की सहकारी संस्थाओं में भी किए गए छल-कपट पूर्ण कार्यों की जांच कर एफआईआर कराकर अवगत कराने को कहा गया था। सागर के सहकारिता उपायुक्त एसपी कौशिक द्वारा इस घोटाले को लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक अमित सांघी को भी एक पत्र नवंबर 19 और दूसरा पत्र 18 फरवरी 20 को लिखा है। इस ताजे पत्र में कहा गया है कि हाल ही में वित्तीय अपराध तथा को-आपरेटिव फ्रॉड शाखा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा ली गई बैठक मेंंंंंं चर्चा हुई थी तथा चाही गई ताजा जानकारी के साथ प्रेषित है। किंतु इस पत्र के बाद भी पुलिस द्वारा अभी तक दोषी जगदीश प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इस संबंध में कोतवाली थाना प्रभारी प्रशांत मिश्रा का कहना है कि एफआईआर के लिए  संबंधित विभाग से सभी आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं। थाना प्रभारी मिश्रा ने गुरूवार को बताया कि सहकारिता विभाग से इसी मामले में दो और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही का पत्र आया है दोनों ही पत्रों से संबंधित दस्तावेज मिलने और उनके परीक्षण के बाद एफआईआर की कार्यवाही की जाएगी।  
क्या है मामला
सागर संयुक्त आयुक्त द्वारा एक फरवरी 19 को सहकारिता आयुक्त भोपाल को भेजे गए जांच प्रतिवेदन के अनुसार शीतगृह संचालक धर्मेन्द्र शर्मा और महेश सेन द्वारा लेखापाल जगदीश प्रसाद प्रजापति की शिकायत की गई थी जिसमें प्रजापति पर 37 लाख 42 हजार के गबन का आरोप लगाया गया था। शिकायत में कहा गया कि सन् 1984 से संस्था के आडिट में गबन के मामले सामने आए थे। 84-85 में 2 लाख 43 हजार, 85-86 में ७५ हजार २९८, 88-89 में ९० हजार ८५४, 94-95 में 1 लाख ६९ हजार रूपए के घोटाले सामने आ चुके थे। किंतु संस्था के संचालक मंडल ने कार्यवाही करने की बजाय प्रजापति को कार्यवाहक प्रबंधक के पद पर पदोउन्नत कर दिया और प्रबंधक सहसचिव के कार्य करने हेतु अधिकृत कर दिया। कार्यवाहक प्रबंधक भत्ता 20 प्रतिशत देने का निर्णय  भी देने का  निर्णय लिया गया। संस्था के संचालक मंडल की 25 जुलाई 1994 में हुई बैठक में लेखापाल जगदीश प्रजापति द्वारा किए गए गवन की जांच हेतु तीन संचालकों को अधिकृत किया गया। इन संचालकों ने अपना जांच प्रतिवेदन ८/११/९४ को कलेक्टर सागर, पुलिस अधीक्षक सागर और कोतवाली प्रभारी को भेजा।  यही जांच प्रतिवेदन संयुक्त पंजीयक सागर, सहकारिता आयुक्त भोपाल और तत्कालीन उपमु यमंत्री को भी भेजा गया। इसके बाद  प्रजापति को सेवा से हटा दिया गया। हटाए जाने के बाद प्रजापति भोपाल शि ट हो गया और सहजीवन गृहनिर्माण सहकारी समिति भोपाल में अध्यक्ष बन गया। 
हालांकि लोकायुक्त द्वारा दोषी जगदीश प्रजापति के खिलाफ कार्यवाही और वसूली का जो आदेश दिया गया है उसमें घोटाला राशि 1 लाख 69 हजार उल्लेखित है जबकि सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा कलेक्टर एवं अन्य उच्च अधिकारियों को प्रेषित पत्रों एवं जांच प्रतिवेदन में घोटाला राशि 37 लाख 42 हजार का उल्लेख है। 
इनका कहना है
किसान शीतगृह एवं बर्फ फैक्ट्री में वर्षों पूर्व हुए घोटाले को लेकर लोकायुक्त भोपाल में पेशी चल रहीं हैं तथा सहकारिता विभाग द्वारा पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करवाने  के संबंध में पत्र लिखे गए हैं।
एसपी कौशिक, उपायुक्त सहकारिता विभाग, सागर।


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