आशुतोष राणा ने बताया इस धन को अलक्ष्मी

डॉ. हरिसिंह गौर जैसे कर्मयोगी महान शिक्षाविद् को ‘भारत रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया जाए :आशुतोष_राना


सागर | जिसे नीति से कमाया जाए वह लक्ष्मी होती है जिसे अनीति से कमाया जाए वह अलक्ष्मी होती है लेकिन जिसे नीति और प्रीति से कमाया जाए वह महालक्ष्मी होती है। लक्ष्मी और अलक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है लेकिन महालक्ष्मी अचल होती हैं। यह मान्यता है की जहां सरस्वती का वास होता है वहाँ लक्ष्मी नहीं रहतीं किंतु यह सूत्र महालक्ष्मी के संदर्भ में उचित प्रतीत नहीं होता क्योंकि महालक्ष्मी उसके पास अचल हो जाती हैं जो उनकी बहन सरस्वती का साधक हो। इस तथ्य पर मेरा विश्वास डॉक्टर हरि सिंह गौर के कृतित्व को देखकर दृढ़ हो जाता है डॉक्टर गौर जिन्हें सरस्वती पुत्र कहा जाता था उन्होंने सरस्वती को साधकर जिस महालक्ष्मी को अर्जित किया उसे सरस्वती की सेवा में ही अर्पित कर दिया। डॉक्टर हरिसिंह गौर का जीवन चिंगारी से मशाल तक की यात्रा है, वे ऐसे ज्ञान साधक हैं जिन्होंने घोर अंधकार में ज्ञान के सूर्य की साधना की और मात्र स्वयं के अंधकार को ही नहीं अपितु अपनी मातृभूमि सागर में देश के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों में से एक को स्थापित कर बुंदेलखंड के साथ सम्पूर्ण मध्यप्रदेश व भारतवर्ष को ज्ञान के प्रकाश से भर दिया। यह मेरा सौभाग्य है की मुझे इस विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का अवसर मिला। मुझ सहित सागर विश्वविद्यालय के लाखों लाख विद्यार्थीयों का भारत सरकार से अनुरोध है की डॉ. हरिसिंह गौर जैसे कर्मयोगी महान शिक्षाविद् को ‘भारत रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया जाए। #आशुतोष_राना

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